
बहुत खूबसूरत है शिल्पकार मेरा।
है चरणों में उसके नमस्कार मेरा।।
सँवारा है मुझको बनाया है जिसने।
घड़ा है उसी ने ही आकार मेरा।।
दिखाए सभी को ही अनमोल राहें।
तभी तो बना है कलमकार मेरा।।
सदा ही किया है सदा ही करेगा।
चला नेक रस्ते पे उपकार मेरा।।
बिठाया है जिसको दिया कण्ठ आसन।
हटाया है जीवन से अँधकार मेरा।।
बनाई है किस्मत दिखा करके रस्ता।
मिटाया है पल में अहंकार मेरा।।
कृपा पात्र “मीना” बने बस उसी की।
करे भाव दाता ये स्वीकार मेरा।।
सुनीता मिश्रा
लखनऊ उत्तर प्रदेश




