
बड़ों की जो करे सेवा वही आशीष पाता है।
सभी का प्यार पाता है सभी को वो लुभाता है।।
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सभी हैं ईश की रचना सभी अनमोल हैं अप्रतिम,
इन्हीं के साथ रमना है खुशी मन भी जताता है।
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प्रकृति के संग मिलकर हम रहें तो और अच्छा है,
रहेगीं हर तरफ खुशियां यहाॅं हर दिल हॅंसाता है ।
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दिया है ईश ने जीवन सभी से प्यार हम कर लें ,
सुखद संसार की रचना करें तो चैन आता है।
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नहीं नफ़रत बढ़ाए हम न रिश्तों को कभी तोड़ें ,
सु अपनापन भरोसा हो महक घर- बार जाता है।
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बिखरते जा रहे रिश्ते बढ़ी हैं दूरियां दिल से,
हुआ व्यापार सा जीवन यही डर अब सताता है।
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सभी को जोड़ना ममता दिलों को प्रेम में बाॅंधे,
बढ़े सहकार हर दिल तब खुशी के गीत गाता है।
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ममता झा मेधा
डाल्टेनगंज



