नारी शक्ति की धाक : विश्व कप में भारत की पाकिस्तान पर ऐतिहासिक विजय
डॉ शिवेश्वर दत्त पाण्डेय

विश्व कप के रोमांचक मुकाबले में भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने पाकिस्तान को 88 रनों से पराजित कर एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि भारतीय नारी अब केवल प्रेरणा का नहीं, बल्कि पराक्रम का प्रतीक भी है। यह जीत केवल एक मैच की जीत नहीं, बल्कि भारतीय नारी की मेहनत, आत्मविश्वास और अनुशासन का अद्भुत उदाहरण है।
भारत ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 50 ओवर में 247 रन बनाए। जवाब में पाकिस्तान की पूरी टीम 159 रन पर सिमट गई। इस जीत के साथ भारत ने विश्व कप में पाकिस्तान के विरुद्ध अपनी लगातार बारहवीं जीत दर्ज की — एक ऐसा रिकॉर्ड, जो भारतीय क्रिकेट की श्रेष्ठता को दर्शाता है।
इस मैच की सबसे चमकदार सितारा बनीं क्रांति गौड़, जिन्होंने अपनी धारदार गेंदबाज़ी से 3 विकेट लेकर पाकिस्तान के शीर्ष क्रम को बिखेर दिया। उन्हें “प्लेयर ऑफ द मैच” चुना गया। वहीं, दीप्ति शर्मा और स्नेह राणा ने भी शानदार प्रदर्शन करते हुए क्रमशः 3 और 2 विकेट झटके। बल्लेबाज़ी में हर्लीन देओल ने संयमित 46 रनों की पारी खेली, जबकि ऋचा घोष ने अंत में तेज़ 35* रन बनाकर स्कोर को सशक्त किया।
पाकिस्तान की ओर से सिदरा अमीन ने 81 रनों की साहसिक पारी खेली, किंतु अन्य बल्लेबाज़ भारतीय गेंदबाज़ी के सामने टिक नहीं सकीं। यह मैच रणनीति, संयम और एकता का आदर्श उदाहरण रहा — जहाँ हर खिलाड़ी ने अपनी भूमिका पूरी निष्ठा से निभाई।
इस जीत का महत्व केवल खेल तक सीमित नहीं है। भारत-पाकिस्तान के हर मुकाबले की तरह यह भी एक भावनात्मक क्षण था — जहाँ हर चौका-छक्का, हर विकेट देशवासियों के हृदय की धड़कन से जुड़ा हुआ था। इस बार जब मैदान पर भारत की बेटियों ने तिरंगे की शान बढ़ाई, तो हर भारतीय गर्व से भर उठा।
आज भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने यह संदेश दिया है कि
“प्रतिभा किसी लिंग की मोहताज नहीं होती, अवसर और विश्वास मिल जाए तो हर बेटी इतिहास लिख सकती है।”
खेल मंत्रालय, बीसीसीआई और राज्य क्रिकेट संघों को अब यह सुनिश्चित करना चाहिए कि महिला खिलाड़ियों को सुविधाएँ, प्रशिक्षण और सम्मान समान रूप से मिले। गाँव-कस्बों की प्रतिभाशाली बेटियों के लिए अवसरों का मार्ग खुलना चाहिए ताकि भारत की अगली पीढ़ी और भी ऊँचे मुकाम हासिल कर सके।
डॉ शिवेश्वर दत्त पाण्डेय
समूह सम्पादक


