
यह महाकुंभ है आया,तेरे तट पर आएँ माँ
संगम स्नान करें हम ,तेरी आरती गाएँ माँ
यह…….
मां स्वर्ग से उतरीं भू पर,शिव शीश समाई है
तू जटा में विचरण करती ,पावन सुखदाई है
तू भागीरथी कहाई , संताप मिटाये मां
संगम……
तेरे नाम हैं मात अनेकों ,तेरी निर्मल धारा है
यमुना और सरस्वती का,यहाँ संगम न्यारा है
जहाँ तीनों नदियाँ मिलतीं,महाकुंभ मनाएंँ माँ
संगम………
तू तन-मन पावन करती,तू कलुषनाशिनी है
तू देवनदी ,सुर सरिता , तू ही मंदाकिनी है
तू भव से पार लगाए ,तू मोक्ष दिलाए माँ
संगम……….
आशा बिसारिया चंदौसी,उ०प्र० (महाकुंभ के अवसर पर लिखा था)



