साहित्य

मौत

विनोद कुमार सीताराम दुबे

सुबह से लेकर शाम तक
मां हमार ध्यान रखती थी
घर आने पर पहले पूछती
बेटा आज बहुत देर हो गयी
रास्ते में कोई परेशानी तो नहीं
कुछ खाए-पीए थे की नहीं
आज तुम्हारे लिए मनभावन
पकवान बनाई हूं बेटा
आंचल से पसीना पोंछते हुए
मां गले से लगा लेती थी
मेरे दुख-तकलीफ को हर लेती
शाम सुबह खयाल रखती थी
बचपन के दिनों में
मां गीले बिस्तर पर सोती थी
मुझे सूखे बिस्तर सुलाकर
स्तन पान करा लोरी सुना कर
थपकी लगाने वाली मां को
सोलह अक्टूबर दो हजार इक्कीस को
मौत क्यूं आगयी?
मौत क्यूं आगयी?

विनोद कुमार सीताराम दुबे शिक्षक भांडुप मुंबई महाराष्ट्र
संस्थापक इन्द्रजीत पुस्तकालय सीताराम ग्रामीण साहित्य परिषद सामवन्ती ग्राम महिला विकास मंडल जुडपुर मड़ियाहूं जौनपुर उत्तर प्रदेश

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