साहित्य

मन की बात जीवन साथी से

पूनम त्रिपाठी

जीवनसाथी वो नहीं होता
जो बस नाम में साथ हो,
सच्चा साथ तो वही
जो हर दर्द में भी पास हो।

जहाँ शब्दों से पहले
मन का इशारा समझे ,
बिना कहे हर बात
आँखों से ही पढ़ ले ।

मन की उलझनों को
शब्दों का इंतज़ार न हो,
जिससे कह सको हर बात
बिना किसी डर, बिना संकोच के ऐसा हो जीवन साथी

सुख-दुख की राहों में
हाथ थामे जो चलता रहे,
हर मोड़ पर साथ हो हमारे
हर वक़्त मज़बूती से डटा रहे।

इन्हे जीवनसाथी नहीं,
आत्मा का मीत कहते है,
जिससे बाँट सको दिल की बात
जैसे चाँद बाँटे अपनी चाँदनी रात।

पूनम त्रिपाठी
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