साहित्य

निरख शरद चाँदनी चहुँ ओर

डाॅ. रीता सिंह

निरख शरद चाँदनी चहुँ ओर
झूमें राधा नंदकिशोर ।

आनंदित है सब ब्रजमंडल
रास रचाते हैं चित-चोर ,
देख सोम का रूप सलोना
घेरे बदरी नभ की कोर ।

सभी गोपियाँ रस में डूबीं
धुन वंशी की करे विभोर,
सुर छिड़ते जब प्रेम राग के
नाचे सबके ही मन मोर ।

चन्द्र किरण खेलें जल थल में
लुभा रही हैं वे बहु जोर ,
श्वेत रूप में सजती धरती
मनहु चाँद से मिली चकोर ।

डाॅ. रीता सिंह
चन्दौसी सम्भल

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