साहित्य

जब प्रेमिका ही हमारी पत्नी बन गई है

एस के कपूर "श्री हंस"

मुक्तक
1
जब से प्रेमिका पत्नी बनी धूम -धड़ाका हो गया है।
सारा प्यार दो साल में खत्म यह खुलासा हो गया है।।
अब नन्हा मुन्ना मेहमान बन गया आँख का तारा।
हमारे लिए बस उनका कोरा दिलासा हो गया है।।
2
लव-शव की बातें अब कोई इतिहास हो चुकी हैं।
मीठी बातें उनके लबों से अब खलास हो चुकी हैं।।
वह घंटों फोन की बातचीत हगीज मूतिस में बह गई।
आसमां से तारे तोड़ लाऊंगा बात बकवास हो चुकी है।।
3
अब नून तेल लकड़ी की चपेट में घर संसार आ गया है।
बस फोटो देख कर ही हनी मून का विश्वास आ गया है।।
नई गृहस्थी और दुनियादारी में ही खो गए हैं हम दोनों।
बस मुन्ने के जन्मदिन पर चेहरों पर उल्हास आ गया है।।
4
माँ -बेटे सास-बहू का चक्कर भी अब चल गया है।
कल फिर मिलेंगे का नारा भी अब टल गया है।।
मकान को घर बनाने में ही लगी रहती हैं पत्नी जी।
लेकिन नूर चेहरे का अब धीरे – धीरे बढ़ गया है।।
5
दूसरे बच्चे काआना स्कूल छोड़ने जाना सबसे ऊपर है।
ऑफिस घर के बाद समय अब हो गया दूभर है।।
शादी का लड्डू खाया था हमने बहुत ही स्वाद लेकर।
अब रोज कोई गम-खुशी आती-जाती हमको छूकर है।।
रचयिता।।एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली।।
©. @. skkapoor
सर्वाधिकार सुरक्षित

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