
मुश्किल वक्त हो तो ऐसे नही घबराना चाहिए ,
कर बुलंद अपने मन को यूँ समझाना चाहिए।
बीत जाती है हर एक वो घड़ी बन एक यादगार ,
हर रात के बाद दिन होता है नही भुलाना चाहिए।
पत्थर में भी फूल खिलते हैं राह बनती है खुद अपनी ,
चाहे वक्त खराब हो फिर भी मुस्कराना चाहिए ।
है उम्मीद पर रोशन दुनिया बेरुस्वाई ठीक नही ,
चिरागों से ही अपना घर-द्वार सजाना चाहिए।
वक्त और हालात बदलते देखो देर नही लगती ,
दिल से मैल मिटा कर सबको गले लगाना चाहिए ।
ख्वाब पूरे होते हैं ममता मगर मांगते हैं इम्तिहान ,
सबको ख़ुश रखने के लिए दर्द भुलाना चाहिए।
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ममता झा मेधा
डाल्टेनगंज



