साहित्य

जैसी करनी वैसी भरनी

गोवर्धनसिंह फ़ौदार 'सच्चिदानन्द'

लधु कथा

बावन वर्षिय मिनाल मृत्यु पश्चात जब भगवान के पास गया, वहाँ उसका भव्य स्वागत किया गया। दो दिनों तक उसे एक सुन्दर कमरा सारी सुविधाओं के साथ रहने को दिया गया था।जब भी उसे जो चाहिए था, उसके माँगने पर तुरन्त उपलब्ध कराया जाता था।
मिनाल देखकर हैरान था।यह भी सोचता था कि धरती पर क्यों इतने दिनों तक दुख झेल रहा था। कभी भर पेट खाना नहीं, सुबह-शाम पत्नी, बच्चों का ताना बाना। बेहतर तो यहाँ है।
तीसरे दिन सुबह होते हीं नाश्ते के बाद उसे भगवान के मन्त्री के सामने पेश करने केलिए, काले लिवास में दो सिपाही आये।
रास्ते पर जाते समय उसे गाँव के एक व्यक्ति सें भेंट हुई, जिसका स्वर्गवास पाँच साल पहले हो गया था। सिपाहियों से आज्ञा माँगकर उसने उस व्यक्ति से दो चार बातें की। व्यक्ति का दुखड़ा सुनकर मिनाल डर गया।सोचने लगा…. दो दिन तो मज़े में रहा…. क्या अब मेरी दशा ऐसी होगी?मैंनें भी तो अच्छा काम नहीं किया है। न पत्नी का ध्यान रखा, न हीं बच्चों का, न हीं कोई ज़िम्मेदारी उठायी।बल्कि झूठ बोला, शराब पी, बुरी लतों की जाल में फँसा रहा।पत्नी का कमाया खाया।पूजा पाठ से दूर, बल्कि भगवान को माना हीं नहीं।
यह व्यक्ति तो धार्मिक था। अच्छा काम करता था फिर… ऐसी हालत? जो होना है वही होगा ऐसा सोचते सिपाहियों के साथ आगे बढ़ा।
भगवान के मन्त्री के पास पहुंँचते, धरती पर उसके बिताये दिनों की गाथा सामने रखी गयी।
वह बेपरवाह था।बुरी लतों में फँसा था।झूठ बोलता था। भगवान को नहीं मानता था।
उसकी सारी कहानी सुनने के बाद उसे फूलवारी में काम करने की सज़ा मिली। वह चौंक गया।फिर वापस आते समय सिपाहियों से पूछा…
वह आदमी तो धार्मिक था… उसे सिर्फ एक वक्त की रोटी मिलती है। प्रतिदिन दो दो घंटे एक पैर पर खड़ा रहना पड़ता है। ऐसा नहीं करने से सज़ा बढ़ा दी जाती है।ऐसा क्यों?
सिपाहियों ने समझाया, तू भगवान को मानता हीं नहीं। झूठ बोलना आदि आदि सब माफ़ हुआ। जबकि वह व्यक्ति भगवान को मानने वाला था, दिन भर में कई बार पूजा करता था, फिर भी झूठ पर झूठ बोलता, लोगों को भगवान के नाम पर ठगता था।
बेहतर है भगवान को नहीं मानो पूजा पाठ नहीं करो। न कि पूजा पाठ का ढोंग रचाकर बुरा काम करो।
बस इसी कारण तुम्हारी सज़ा यही रही और उसकी… ।

(गोवर्धनसिंह फ़ौदार ‘सच्चिदानन्द’)
पता :मॉरीशस।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!