साहित्य

पृथ्वीराज चौहान

आकाश शर्मा आज़ाद

चौहान वंश में हुआ पृथ्वीराज का था जन्म,
पृथ्वीराज के पिता सोमेश्वर चौहान
अजमेर के,सम्राट थे!!
पिता सोमेश्वर चौहान की मृत्यु के पश्चात
हुआ अजमेर के राज सिंहासन पर,
पृथ्वीराज का राजतिलक
राजतिलक के पश्चात, सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने,
अपने साहस और शौर्य से,
अपने राज्य की सीमाओं का विस्तार किया!!
किया दिल्ली को अपने राज्य में शामिल
दिल्ली पर सम्राट ने वर्षों तक राज किया!!
सुनकर पृथ्वीराज चौहान के शौर्य और साहस की कहानीया!!
कन्नौज की राजकुमारी संयोगिता ने,
अपने हृदय पर, प्रेम से, पृथ्वीराज का
सिंदूरी नाम लिखा था!!
पर कन्नौज के सम्राट जयचंद को ये,
मंजूर नहीं था!!
जयचंद बैठा था, मौके की तलाश में
जयचंद था!! पृथ्वीराज के लहू से,
इतिहास लिखने की प्रयास में,
मोहम्मद गौरी की थी दिल्ली पर बुरी नजर,
मोहम्मद गोरी ने किया था!!
दिल्ली पर कई बार आक्रमण पर,
सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने,अपने शौर्य से,
मोहम्मद गोरी को हर बार पराजित किया था!!
पर अपनों से कोई ना जीत पाया था!!
ना जीत पाया है!!
जयचंद ने, मोहम्मद गोरी के साथ मिलकर,
पृथ्वीराज पर छल से वार किया!!
पृथ्वीराज को कैद कर,के
मोहम्मद गोरी गजनी ले गया
मोहम्मद गोरी ने,
पृथ्वीराज की आंखों की रोशनी को छीन कर
बड़े जख्म दिए, बड़ा दर्द दिया!!
अपने स्वामी के सम्मान को बचाने के लिए,
पृथ्वीराज चौहान के मान की रक्षा के लिए,
चंद्रवरदाई आए
अपने मित्र के स्वाभिमान की सुरक्षा के लिए,
मोहम्मद गौरी से मांगा एक अवसर
पृथ्वीराज का हुनर दिखाने के लिए,
मंजूर किया मोहम्मद गोरी ने,
पृथ्वीराज को लाया गया!!
क्रीडा के आंगन मे,
बोले चंद्रवरदाई
एक बाण का खेल है सारा
एक बाण का काम
पृथ्वीराज करो मेरी ओर ध्यान
चार बांस के ऊपर सिंहासन है
मत चूको चौहान
अंत हुआ मोहम्मद गजनी के,
अत्याचारों का,
भारत की मिट्टी भी बोल उठी
जय जय पृथ्वीराज चौहान

आकाश शर्मा आज़ाद
आगरा उप्र

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