साहित्य

साक्षात्कार साहित्यकार का: अनिता मंदिलवार ‘सपना’

प्रश्न 1. आपके साहित्यिक जीवन की शुरुआत कैसे हुई?
मेरे साहित्यिक जीवन की शुरुआत बचपन के उन दिनों से हुई, जब शब्दों के माध्यम से अपनी भावनाएँ व्यक्त करना अच्छा लगता था। स्कूल की दीवार पत्रिका और प्रतियोगिताओं में लिखे गए लेख और कविताएँ धीरे-धीरे साहित्य की ओर बढ़ने का मार्ग बनती चली गईं।

प्रश्न 2. लेखन की प्रेरणा आपको कहाँ से मिली?
लेखन की प्रेरणा मुझे मेरे परिवेश, अनुभवों और समाज से मिली। जीवन के छोटे-छोटे सुख-दुःख, मानव संबंधों की जटिलताएँ और प्रकृति की सुंदरता – ये सब मेरे लेखन के स्रोत रहे हैं।

प्रश्न 3. पहला लेखन अनुभव कैसा रहा?
पहला लेखन अनुभव अत्यंत रोमांचक और आत्मिक आनंद देने वाला था। जब मेरी पहली कविता पत्रिका में प्रकाशित हुई, तो वह पल जैसे मेरे जीवन का सबसे उजला क्षण बन गया।

प्रश्न 4. किन साहित्यकारों या व्यक्तित्वों से आपने प्रेरणा ली?
मैंने महादेवी वर्मा, सुभद्रा कुमारी चौहान, हरिवंश राय बच्चन और प्रेमचंद जैसे साहित्यिक महानुभावों से गहन प्रेरणा ली है। उनके लेखन की संवेदनशीलता और सामाजिक दृष्टि मेरे लिए सदैव प्रेरणास्रोत रही है।

प्रश्न 5. आपके लेखन का मूल विषय या केंद्र क्या है?
मेरा लेखन मानवीय भावनाओं, शिक्षा, नारी चेतना, समाज की बदलती संवेदनाओं और जीवन की सच्चाइयों के इर्द-गिर्द घूमता है। मैं कोशिश करती हूँ कि हर रचना समाज के हृदय को छू सके।

प्रश्न 6. आप किन सामाजिक या मानवीय मुद्दों को अपने लेखन में प्रमुखता देती हैं?
नारी सशक्तिकरण, शिक्षा, स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और मानवीय मूल्यों का क्षरण – ये विषय मेरे लेखन में प्रमुख रूप से स्थान पाते हैं।

प्रश्न 7. वर्तमान समय में साहित्य की भूमिका को आप कैसे देखती हैं?
आज भी साहित्य समाज का दर्पण है, बल्कि पहले से अधिक प्रासंगिक है। यह केवल शब्दों का सौंदर्य नहीं, बल्कि चेतना जगाने का माध्यम है।

प्रश्न 8. क्या साहित्य समाज को बदल सकता है, या केवल उसका प्रतिबिंब भर है?
साहित्य समाज का प्रतिबिंब तो है ही, परंतु यह परिवर्तन की लौ भी प्रज्वलित कर सकता है। एक सशक्त लेखन विचारों की दिशा बदलने की क्षमता रखता है।

प्रश्न 9. आपकी रचनाओं में भाषा और शैली की विशिष्टता क्या है?
मेरी भाषा सरल, सहज और भावनात्मक है। मैं कोशिश करती हूँ कि पाठक मेरे शब्दों में अपने अनुभवों की झलक देख सके।

प्रश्न 10. क्या आप परंपरागत भाषा प्रयोग के पक्षधर हैं या आधुनिक प्रयोगधर्मी शैली के?
मैं दोनों के समन्वय की पक्षधर हूँ। परंपरा हमारी जड़ों की पहचान है और प्रयोगधर्मिता उसमें नई चेतना का संचार करती है।

प्रश्न 11. पाठक वर्ग को ध्यान में रखकर आप अपनी भाषा चुनती हैं या स्वाभाविक रूप से लिखती हैं?

मैं स्वाभाविक रूप से लिखती हूँ। मेरे लिए लेखन आत्माभिव्यक्ति है, जिसे बनावटीपन की आवश्यकता नहीं होती।

प्रश्न 12. आज के समय में साहित्य किन चुनौतियों का सामना कर रहा है?
आज साहित्य के सामने सबसे बड़ी चुनौती है — पाठक का ध्यान बनाए रखना। तेजी से बदलते डिजिटल युग में संवेदनाओं की गहराई कम होती जा रही है।

प्रश्न 13. सोशल मीडिया और इंटरनेट युग में साहित्य की स्थिति को आप कैसे आंकती हैं?
सोशल मीडिया ने साहित्य को व्यापक मंच दिया है, लेकिन साथ ही गहराई की कमी भी दिखाई देती है। फिर भी यह युवा लेखकों के लिए अवसरों का नया द्वार है।

प्रश्न 14. क्या आज के युवा लेखकों में रचनात्मकता और संवेदना पहले जैसी है?
हाँ, रचनात्मकता और संवेदना तो अब भी है, बस उनकी अभिव्यक्ति के माध्यम बदल गए हैं। आज के लेखक सामाजिक सरोकारों को नये दृष्टिकोण से देख रहे हैं।

प्रश्न 15. पुरस्कारों और सम्मान की राजनीति पर आपका क्या दृष्टिकोण है?
पुरस्कार तभी सार्थक हैं जब वे सच्चे साहित्यिक मूल्यांकन के आधार पर दिए जाएँ। जब राजनीति प्रवेश करती है, तो साहित्य का नैतिक संतुलन प्रभावित होता है।

प्रश्न 16. क्या आज का लेखक अपने पाठक से जुड़ पा रहा है?
डिजिटल प्लेटफॉर्म के कारण लेखक और पाठक के बीच दूरी घटी है। अब संवाद सीधा और त्वरित हो गया है, जो एक सकारात्मक बदलाव है।

प्रश्न 17. प्रकाशन जगत में नए लेखकों को क्या कठिनाइयाँ हैं?
नए लेखकों के लिए प्रकाशन की राह अब भी कठिन है। गुणवत्ता की जगह व्यावसायिकता को प्राथमिकता मिलने लगी है, जो सृजन के लिए चुनौती है।

प्रश्न 18. क्या व्यावसायिकता ने साहित्य की आत्मा को प्रभावित किया है?
हाँ, कहीं न कहीं। जब लेखन केवल लाभ का माध्यम बन जाता है, तो उसकी आत्मा कमजोर पड़ जाती है। साहित्य का उद्देश्य सदैव समाजोन्मुख रहना चाहिए।

प्रश्न 19. आप आज के समाज में साहित्य की उपयोगिता को कैसे परिभाषित करती हैं?
साहित्य समाज की संवेदना को जीवित रखता है। यह मनुष्य को मनुष्य बने रहने की प्रेरणा देता है।

प्रश्न 20. आपकी लेखन दिनचर्या कैसी है?
मैं नियमित रूप से लिखने का प्रयास करती हूँ। रात का समय मेरे लिए सबसे उपयुक्त होता है जब मन शांत हो । नौकरी और जिम्मेदारियों के चलते दिन में बहुत व्यस्तता रहती है ।

प्रश्न 21. क्या आप किसी विशेष वातावरण या समय में लिखना पसंद करती हैं?
मुझे प्रकृति के सान्निध्य में लिखना अच्छा लगता है — जहाँ मन खुलकर बह सके।

प्रश्न 22. लेखन में आने वाले अवरोधों से आप कैसे निकलती हैं?
ऐसे समय में मैं पढ़ना शुरू कर देती हूँ, संगीत सुनती हूँ या प्रकृति में समय बिताती हूँ। इससे विचार फिर से प्रवाहित होने लगते हैं।

प्रश्न 23. क्या आप अपने लेखन में आत्मानुभव का प्रयोग करती हैं?
हाँ, मेरे लेखन में आत्मानुभव की झलक स्पष्ट रूप से मिलती है। जो मैंने जिया है, वही सबसे सच्चा लिखा है।

प्रश्न 24. आने वाले समय में आपके कौन-कौन से साहित्यिक प्रोजेक्ट या पुस्तकें प्रस्तावित हैं?
मेरे उपन्यास “लौट आओ जिंदगी” एवं
“सपनों की पगडंडी” के अगले भाग पर कार्य चल रहा है। साथ ही बाल साहित्य और नारी केंद्रित लेख संग्रह भी आने वाले समय में प्रकाशित होंगे।

प्रश्न 25. नई पीढ़ी के लेखकों को आप क्या संदेश देना चाहेंगी?
साहित्य में ईमानदारी सबसे बड़ा गुण है। लिखें तो मन से, केवल लोकप्रियता के लिए नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक सोच जगाने के लिए।

प्रश्न 26. क्या साहित्य आज भी समाज में बदलाव लाने की ताकत रखता है?
निश्चित ही रखता है। शब्दों में वही शक्ति है जो तलवार में नहीं। एक संवेदनशील लेखन आज भी विचारों की दिशा बदल सकता है।

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