
सज धज कर सजी है
वो, प्रेम रंग में रँगाई,
हाथों में मेंहंदी की खुशबू, चूड़ियों कंगन खंनकाई
करवा थामे निहार रही, आँखों में इक आस,
आज फिर से मांग में भरना अपने प्रेम का विश्वास।
दिनभर रखा उपवास उसने, हँसते हुए निभाया,
दिल से माँगा संग का वादा, जीवन भर का साया।
चाँद मुस्कुरा कर बोला, “देखो आया मैं आसमान,”
अब पूरी हुई तेरी मन्नत, खिल उठा तेरा जहान।
सजन की सूरत देख लिए, मुस्काई वो लाज भरी,
प्रेम की रीत निभा गई, जैसे सौगंध अधूरी थी पूरी।
करवा चौथ का त्योहार ये, प्रेम का प्रतीक महान,
हर सुहागिन के जीवन में, बरसे सदा सुख सम्मान।
पूनम त्रिपाठी
गोरखपुर ✍️




