साहित्य

अभी खिलेगा और कमल

सतीश चन्द्र श्रीवास्तव

अभी खिलेगा और कमल
कुछ कीचड़ तो बढ़ने दो।
मुसीबतों से घिरे मनुज को
दलदल में धंसने दो।।

रामराज्य में सीता का
परित्याग, शेष है रोना।
शम्बूकों का कत्ल ,और
लव कुश लावारिस होना।।

अभी पंक की जोंकें भूखीं
रक्त और चखने दो।।

सारा पानी रामालय में
गली गांव हैं प्यासे।
क्षुद्र अभागों की बस्ती में
आंसू,उखड़ी सासें।।

जनहित का रथ दौड़े सरपट
जन गण को थकने दो।।

सत्ता कमल फूल पर बैठे
चापलूस, मनमौजी।
काट रहीं तर माल रखैलें
तरस रही घर भौजी।।

नहीं छांव को ठौर,दुपहरी
तपती है तपने दो।।

  1. सतीश चन्द्र श्रीवास्तव
    रामपुर मथुरा, जिला-सीतापुर

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