साहित्य

मेरी प्यारी मां जग से न्यारी है

कुलदीप सिंह रुहेला

ये मां मेरी जग से न्यारी हैं,
जैसे सुबह की पहली प्यारी धारा हैं।
उनकी ममता में छुपा सारा जहाँ,
हर दुःख-सुख की हैं वो दवा, हर पहर का सवेरा हैं।

उनकी हँसी में खिलता मेरा संसार,
उनकी आंखों में चमकता मेरा प्यार।
जब वो पास होती हैं, लगता है जैसे,
सारा अंधेरा मिट गया, छा गया उजियार।

उनकी गोदी में मिलती है सुकून की छाँव,
उनकी बातों में बसी है प्रेम की लहरों की नांव।
हर दर्द को वो प्यार से सहलाती हैं,
हर खुशी को अपने आँचल में सजाती हैं।

मां, तुम हो तो हर राह आसान है,
तुम बिन तो हर सफर वीरान है।
तेरे बिना अधूरी है मेरी कहानी,
तुम ही मेरी दुनिया, तुम ही मेरी ज़िंदगानी।

कुलदीप सिंह रुहेला
सहारनपुर उत्तर प्रदेश

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