
मेरे पिया तुम सदा मेरे हो बादशाह,
सौ दिन पत्नी के,दिन एक पति का,
कहानी यह पुरानी तू राजा दिल का।
साजन मेरे साल के होते बारह माह,
मेरे प्यारे बस मुझे रहती तेरी ही चाह,
तू सदा रहेगा प्यारा राजा मेरे मन का।
जब हम दोनों में होंगे मधुर सम्बन्ध,
जुबां पर किस्से होंगे सबके कंठस्थ,
अमर होगा यें रिश्ता पति-पत्नी का।
एक दूजे के नाम का करें सदा व्रत,
मुश्किल राह में सदा चलें दोनों सत्,
दर्शन पाएं हम सदा शरद चांद का।
भूखे रहना क्या मुहब्बत का पैमाना,
सच्ची उलफत में मिट जाएं दीवाना,
अब चलन हो रहा नए रिवाजों का।
करवाचौथ शोख बना यह नया-नया,
मिटती जा रही सबकी जग में हया,
असल खुशी बस बसे घर प्यार का।
स्वरचित और मौलिक कविता
सर्वाधिकार सुरक्षित
सुनील कुमार “खुराना”
नकुड़ सहारनपुर
उत्तर प्रदेश भारत



