
मेरी सांसों को बचाकर क्यों खामोश हो गए तुम,,
मुझे जिंदा रहने की सजा देकर,कहा चले गए हो तुम,,
तुम नहीं हो मेरे साथ तों मेरे लिए अब इस जहांन में,
इन सांसों का कोई मतलब नहीं है, मेरी कहानी तो,,
तुम्हारे साथ ही खत्म हो गई है, मुझे अपने साथ
क्यों नहीं ले गए तुम,इतने पत्थर दिल कैसे हो गए तुम,,
मैं आज जो, तुम्हारे इश्क में, तुम्हारी याद में,,
इस जहांन मे दरबदर भटक रही हूँ,,
इसके जिम्मेदार हो तुम, मेरे दिल के गुनहागार हो तुम
तुमने इश्क का कानून तोड़ा है, तुमने मेरे दिल को बर्बादी की तरफ मोडा है, तुमने मुझे इस जहाँन मे जिंदा लाश बना कर छोड़ा है,, क्या लगता है तुम्हें,
तुम्हारा मुझसे रिश्ता टूट गया है,,
इस जन्म में तो, तुम मुझे अपनी सांसे दान में देकर
मेरा साथ छोड़कर, मेरा हाथ छोड़कर चले गए
लेकिन मेरी भी एक बात सुन लो तुम
मैंने तुमसे एक जन्म का नहीं
जन्मो जन्म का नाता जोड़ा है,,!
चाहे हजारो जन्म क्यों न लेने पड़े मुझे
तुम्हें अपना बनाने के लिए,
तुम्हें अपने भाग्य
अपनी हाथों की लकीरों में लाने के लिए,
मैं तुम्हारे इश्क में, अपने पागलपन में
हर हद से गुजर के, तुम्हें अपना बनाऊंगी……….
मैं इश्क का हर इम्तिहान देने के लिए,
तैयार हूं तुम्हारे इश्क में,
पर तुम मुझे पहले मेरे एक सवाल का जवाब दो,
ये जो बची है मेरे पास तुम्हारी सांसे,
तुम्हारे बगैर तुम्हारे एहसासों के बिना
तुम्हारी ये पहाड़ सी जिंदगी
कैसे बताऊंगी मै,,
तुमने तो मेरी मृत्यु अपने नाम पर लिखवा कर,
अपने इश्क की कसम को पूरा किया है,
पता नहीं मुझे
मैं अपनी चाहत का वादा कितना निभा पाऊंगी
तुम्हारे दिल से,,
मैं ये भी तो नहीं जानती हूं,
मैं तुम्हारे इश्क के काबिल हूं या नहीं
संभवतः मेरे ही इश्क में कोई कमी रही होगी
तभी तो इस जन्म में मेरे महबूब मेरे नसीब में,
तुम्हारा प्यार नहीं,,
मुझे लगता है मेरे कारण रब ने,
तुम्हें अपने पास बुलाया है,,……
संभवतः इस जन्म में
तुम्हें मेरे पापो की सजा मिली है,,
मैंने ही अपने प्यार की कदर नहीं की,,
तुम्हें कुछ बरसों में वापस आना होगा मेरे महबूब
मेरे लिए, तुम्हें मेरी कसम है,,
क्योंकि अभी मेरी सांसों पर
तुम्हारी सांसों का कर्ज बाकी है,,
क्योंकि अभी मेरे और तुम्हारे दिल का
हमारे इश्क का हिसाब बाकी है,,
मैं,भी अपनी मृत्यु का इंतजार कर रही हूं
मैं,भी तुम्हारे साथ अपनी नई कहानी
नए जन्म का इंतजार कर रही हूं,
मुझे भी तुम्हारे बगैर इस जहांन में,
रहना नहीं है,,
जब तुम इस जहांन में,
नया जन्म लेकर आओगे,
मैं भी तुम्हारे दिल की धड़कन बन कर आऊंगी
तुम्हारी सांसों का कर्ज उतार कर
तुम्हारे इश्क में तुम्हारा साथ निभाकर
मैं तुम्हारे इश्क में,
तुम्हारी जोगन बन जाऊंगी,
जब तुम्हारी जोगन बनकर मुक्ति मिलेगी मुझे,
इस जहांन से, तभी अंत में,
मैं तुम्हारी रूह से मिलकर
तुम्हारी रूह को अपना बना कर
पाप -पुण्य से मुक्त होकर
तुम्हारी प्रेमिका कहलाऊंगी
आकाश शर्मा आज़ाद
आगरा उप्र




