साक्षात्कार साहित्यकार का:महेंद्र कुमार वर्मा

मेरा नाम महेंद्र कुमार वर्मा है।
मेरा साहित्यिक जीवन वर्ष 1980 से प्रारम्भ हुआ।
हमारे शहर जबलपुर में उन दिनों नई दुनिया ,नवभारत ,युगधर्म अखबार प्रमुख थे। उन अख़बारों में रविवार तथ सप्ताह के मध्य में साहित्यिक पृष्ठ होते थे तथा बाल साहित्य भी प्रकाशित होता था। फिर ये ही मेरे प्रेरणा स्रोत बने।
जब पहली रचना बाल कविता मेरी पतंग प्रकाशित हुई तो बहुत ख़ुशी हुई। विद्वान संपादक जी ने कविता में छुटपुट सुधार किये ,उससे मुझे काफी कुछ सीखने को मिला।
कटनी शहर के आदरणीय मिश्री लाल जायसवाल जी जिनकी क्षणिकाएं सभी पत्रिकाओं में प्रकाशित होतीं थी ,उन्हें पढ़कर मैंने क्षणिका लिखना सीखा। हमारे शहर के ही पुरोधा व्यंग्यकार आदरणीय हरी शंकर परसाई जी के व्यंग्य लेख पढ़ कर उनसे भी बहुत कुछ सीखा। कहानी सम्राट प्रेमचंद जी की कहानियों से बहुत कुछ सीखने को मिले। इसी तरह पुरोधा साहित्यकारों को पढ़ते हुए मेरी साहित्यिक यात्रा चलती रही।
मेरे लेखन में बाल कहानी ,बाल कविताएं ,व्यंग्य क्षणिकाएं तथा लघुकथा शुरुआती दिनों में प्रमुख थे।
मैंने हमेशा ही अपने लेखन में सत्य न्याय इन्साफ का पक्ष लिया है तथा रिश्वतखोरी ,अफसरसाही के खिलाफ बहुत कुछ लिखा है।
साहित्य समाज का दर्पण होता है ,वह नव युवाओं को नई दिशा प्रदान करता है।
मेरी रचनाओं में कठिन शब्द कम ही होते हैं ,ज्यादातर मै सहज सरल शब्दों से ही अपनी बात रखता हूँ। मेरी समझ में क्लिष्ट साहित्य आम जनों को साहित्य से दूर ले जाते हैं।
मेरे पाठक ज्यादातर सामान्य जन तथा बाल पाठक होते हैं।
आज के समय में साहित्यिक पत्रिकाएं बंद होती जा रही हैं ,बुक स्टाल भी लुप्त होते जा रहे हैं। इससे साहित्य को बहुत नुकसान हो रहा है।
सोशल मीडिया के आने से साहित्यिक गतिविधियां बढ़ गई हैं। आजकल ,फेसबुक तथा व्हाट्स एप्प में प्रचुर साहित्य देखने को मिल जाता है।
पुरस्कार से साहित्यकारों को ऊर्जा प्राप्त होती है। मगर आजकर ल तो कई सस्थान साहित्य में पुरूस्कार देने का कार्य ही कर रहे हैं ,इससे साहित्य का कोई भला नहीं होने वाला।
पुस्तक का प्रकाशन हर साहित्यकार का सपना होता है ,मगर प्रकाशक जब मनमानी कीमत बताता है तो आम साहित्यकार खामोश हो इंतजार करता है ,कि कभी तो कीमतें घटेंगी।
आज के समाज में साहित्य उपयोगी तो है ,मगर आजकल लिखने वाले ज्यादा हैं और पढ़ने वाले कम।
मैं नियमित लेखन कार्य करता हूँ ,दोहे ,कुंडलियां ,हाइकु ,लघुकथा तथा बाल साहित्य मेरे प्रिय विषय हैं।
आने वाले समय में बाल कहानी संग्रह ,बाल कविता संग्रह ,दोहा संग्रह ,व्यंग्य आलेख संग्रह प्रकाशित करना चाहूंगा।
नई पीढ़ी के लेखकों के लिए बस यही कहना है कि अच्छा पढ़ें ,तथा कम एवं सार्थक लिखें।
साहित्य समाज में क्रांति लाने की क्षमता आज भी रखता है।
आदरणीय साक्षात्कार के लिए धन्यवाद।
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