
बेवजह के शिकवों में इस कदर ना उलझाइये
बेहतर ये है कि आप मुझे भूल जाइए
मोहब्बत के सिवा भी मंज़िले हैं कई सफ़र में
हमसफ़र थे हम भी कभी ये भूल जाइए
दर्दे दिल की दवा ढूंढ ली है हमने बंदगी में
बे-गै़रत हो जीना नहीं है हमें क़बूल जाइए
हर कोई तन्हा यहां ज़माने की इस भीड़ में
रहेंगे यारा हम तो तन्हाई में भी मशगूल जाइए
तुमसे मिलकर ज़िंदगी ये मुस्कुराई थी कभी
सह ना पाएं अब तेरी जुदाई के शूल जाइए
गिले शिकवे फ़कत ईनामात तेरे इश्क़ के
तन से झाड़ दी है तेरे इश्क़ की धूल जाइए
साथ तेरे ज़िंदगी का लुत्फ़ कुछ अलग ही था
तेरे बिन लगती ज़िंदगी ये नामाकूल जाइए
बेवफ़ाई उम्र भर करती रही ख़ुद से मधु
ख़ुद को कमतर आंकना है अब फिजूल जाइए
@मधु माहेश्वरी गुवाहाटी असम



