साहित्य

बारह साल की उम्र

सुनील कुमार "खुराना"

विषय – पुराना ज़माना प्यारा था,
जब बारह साल की उम्र में।
सबके दांत दूध का टूटता था,
आज रहते हैं सब अपने मुड़ में।।

दिलों में इंसानियत थी सबके,
गली-मुहल्ले रहते थे सब चमके।
आज प्यारे जमाना बदल गया है,
नर और नारी जग में सब बेहया है।।

आज सृष्टि में बारह साल की उम्र में,
दिल टूट रहे हैं इस बेहया जमाने में।
बारह साल की उम्र में नहीं था ज्ञान,
अब इस उम्र में बच्चें शादी रहें जान।।

कितना मॉर्डन जमाना आ गया है,
सृष्टि में खत्म होती जा रही दया है।
अब संस्कार बच्चें भूलते जा रहे हैं,
बच्चे कहां अब किसी की सुन रहे हैं।।
स्वरचित और मौलिक कविता
सर्वाधिकार सुरक्षित
सुनील कुमार “खुराना”
उत्तर प्रदेश भारत

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