
आओ मिलकर सुंदर सृजन सजाएँ,
लेखनी से शब्दों का मान बढ़ाएँ।।
भाव उठते जो हृदय में ,
शब्द में उन्होंने पिरोएं।
दृश्य जो दिखते जगत में,
काव्य के रस में भिगोएं।।
प्यार जो भर दे हृदय में,
गीत रच सबको सुनाएं।
आओ मिलकर सुंदर सृजन सजाएँ,
लेखनी से शब्दों का मान बढ़ाएँ।।
नदी तट कितना सुहाना,
संदली शीतल हवा है,
जलधार कल कल गा रही,
संगीत अनुपम ये दवा है।
नदी के तट पर चलें प्रिय,
गान मिलकर मधुर गाएं।
आओ मिलकर सुंदर सृजन सजाएँ,
लेखनी से शब्दों का मान बढ़ाएँ।।
स्वप्न जो सजते नयन में,
चित्र बन कर मुस्कुराएं।
दर्द जो उठते हृदय में,
शूल प्रिय बन फूल जाएं।
जो दुखद पल पीर देते,
उन पलों को भूल जाएं।
आओ मिलकर सुंदर सृजन सजाएँ,
लेखनी से शब्दों का मान बढ़ाएँ।।
डाॅ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार



