साहित्य

दीप जलाओ

किरण कुमारी 'वर्तनी'

शुभ बेला लक्ष्मी आती है।
धन वैभव सुख बरसाती है।।
दु:ख भगाओ खुशियांँ पाओ।।
दीवाली में दीप जलाओ।।

करो गेह की खूब सफाई।
तनिक रगड़ लो मन का काई ।।
पुष्प -पात से द्वार सजाओ।
दीवाली में दीप जलाओ।।

बंद पड़ा वह गेह बुलाता।
चमगादड़ का शोर सुनाता।।
रूठे परदेसी आ जाओ।
दीवाली में दीप जलाओ।।

टूट गई छोटी बातों में।
बस गिन चुन कुछ ही रातों में ।
रिश्तों में फिर प्रेम जगाओ।
दीवाली में दीप जलाओ।।

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