
दीपों से जगमग घर आँगन, खुशियों की आई बहार,
लक्ष्मी माता के चरण पड़े, मिटे सभी अंधकार।
सोने-चाँदी की चमक में, उमंगों की लहर उठी,
हर दिल में आशा जागी, हर आँखों में नज़र झुकी।
धनतेरस का पावन दिन है, मंगलमय ये बेला,है
सौभाग्य, सेहत और समृद्धि का दे माँ वरमाला।
दीप जलाएँ श्रद्धा से, मन में हो प्रेम उजाला,
हर द्वार पे आए खुशियाँ, मिटे दुखों का ज्वाला।
भक्ति से भर लो जीवन को, लो ये शुभ सन्देश,
धन ही नहीं, मन का धन हो — यही सच्चा उपदेश।
पूनम त्रिपाठी
गोरखपुर ✍️




