
मनाओ दिवाली पर रहे ध्यान उनका
सीमा से लौट वापस जो घर को न आए
किया था यह वादा, अब की जो आयेंगे
गले में हार तेरे, हम नौ लखा पहनाएंगे
उसने पूरा किया, अपना वादा निभाया
गले पत्नी के “परमवीर चक्र” पहनवाया
झुकाती थी पत्नी सिर अबतक सभी को
पूरे देश ने झुक कर, शीश उसको नवाया
यूं पूरा किया, अपना वादा भी निभाया
निभाया सबकुछ, लौट कर ही न आया
तुम जलाना एक दिया, ऐसे वीरों के नाम
होगी सच्ची श्रद्धांजलि उन शहीदों के नाम
जलाना एक दिया, उन अनामों के नाम
स्वाधीनता के लिए, उन शहीदों के नाम
स्नेह का एक दीपक समर्पित है उनको
प्रेम का “दिव्य दीपक” अर्पित है उनको
श्रद्धा सुमन, पहले उनको ही है अर्पित
हे राष्ट्र नायक! तन मन धन सब समर्पित।
डॉ. जयप्रकाश तिवारी बलिया/लखनऊ, उत्तर प्रदेश



