साहित्य

धन्वन्तरि जयन्ती-नरक चतुर्दशी

डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'


देती नरकचतुर्दशी, सबको यह सन्देश।
साफ-सफाई को करो, सुधरेगा परिवेश।।

दीपक यम के नाम का, जला दीजिए आज।
पूरी दुनिया से अलग, हो अपने अंदाज।।

जन्मे थे धनवन्तरी, करने को कल्याण।
रहें निरोगी सब मनुज, जब तक तन में प्राण।।

भेषज लाये भूमि से, खोज-खोज भगवान।
धन्वन्तरि संसार को, देते जीवनदान।।

रोग किसी के भी नहीं, आये कभी समीप।
सबके जीवन में जलें, हँसी-खुशी के दीप।।

त्यौहारों की शृंखला, पावन है संयोग।
इसीलिए दीपावली, मना रहे सब लोग।।

कुटिया-महलों में जलें, जगमग-जगमग दीप।
सरिताओं के रेत में, मोती उगले सीप।।

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