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देती नरकचतुर्दशी, सबको यह सन्देश।
साफ-सफाई को करो, सुधरेगा परिवेश।।
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दीपक यम के नाम का, जला दीजिए आज।
पूरी दुनिया से अलग, हो अपने अंदाज।।
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जन्मे थे धनवन्तरी, करने को कल्याण।
रहें निरोगी सब मनुज, जब तक तन में प्राण।।
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भेषज लाये भूमि से, खोज-खोज भगवान।
धन्वन्तरि संसार को, देते जीवनदान।।
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रोग किसी के भी नहीं, आये कभी समीप।
सबके जीवन में जलें, हँसी-खुशी के दीप।।
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त्यौहारों की शृंखला, पावन है संयोग।
इसीलिए दीपावली, मना रहे सब लोग।।
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कुटिया-महलों में जलें, जगमग-जगमग दीप।
सरिताओं के रेत में, मोती उगले सीप।।
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