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दिवाली और लकदक बाजार, मन डोलता है……!

मदन वर्मा " माणिक "

दिवाली और लकदक बाजार, मन डोलता है……चाहे ये लेलूं,
वो लेलूं मन हिलोरें मार रहा हैं, गिफ्ट लूं या घर का सामान,
इलैक्ट्रोनिक सामान लूं, किचन के आयटम लेलूं, शादी शुदा महिलाओं में पहली पसंद, उससे पहले ज्वैलरी पर भी मन आया,
कीमती साड़ी, सूट, बच्चों के कपड़े लेने का मन भी है, रेडीमेड पोशाकों के बाजार भी सजे धजे है। बाजार, शोरूम, मॉल सजे पड़े हैं। दिवाली पूजन और सजावट मिठाई का सामान खरीदने के बाद कोई नया सामान दिवाली पर हर घर में लाया जाता है।
कहा जाता है उतने ही पैर पसारो जितनी बड़ी चादर हो तो खरीददारी भी, सारी आवश्यक वस्तुएं भी उतनी ही खरीदना
चाहिए मगर रूपये की कमी हो तो वित्त की व्यवस्था हेतु फायनेंसर भी है और क्रेडिट कार्ड भी और किश्तों में भी,
पहुंच से बाहर की वस्तुएं, सेवाएं लेकर उनके उपयोग का आनंद उठाया जा सकता है।

लोन देने को आतुर पहले फिर बाद में वसूली का फंदा, किश्तों से
देने में हुआ खिलवाड़ तो भैया, सहो ज्यादती की वसूली बाजों के एजेंटों की मार, खरीदा माल वापस उठा भी सकते हैं। इसलिए कूवत से ज्यादा की खरीद ना करें, जितना लोन-उधार ले सकते हैं, उतना ही लेंवे। बाद में उधारी देने वाले घर नहीं घूदें
इसका ध्यान रखना कठिन होता है। क्योंकि दीवाली और लकदक बाजार, मन डोलता है……ये लूं या ना लूं। क्या खरीदोगे
आपके सामने पूरा मार्केट, सारे मॉल, आपकी नजरों में डोरे डाल रहे हैं। सारा उपभोक्तावाद पसरा हुआ आपकी परीक्षा ले रहा है, यही सब्र का संतुलन – असंतुलन का कांटा किस ओर जायेगा, ये ही दर्शाएगा। यही तो दिवानगी हैं त्यौहारों की और फिर देश में दिवाली, दिवाली की दिवानगी साथ ही चलती है। दिवाली भरपूर उल्लास से मनानी है। हर परिवार बच्चों के उत्साह में दिवाली मनाने में कोई कसर रखना नहीं चाहता।
नये दोपहिया व चार पहिया वाहन का आकर्षण सदैव सबसे ऊपर रहेगा। हजारों वाहनों की पौ-बारह है किसी ना किसी के यहां दिवाली पर इसकी सौगात आती ही है।

ऐसे त्यौहारी माहौल में जोश के साथ अपना होश भी काबू में रखें। अनावश्यक खरीददारी से बचें, आवश्यकता के सामानों को
प्राथमिकता के क्रम में रखें, इसमें जो जरूरी हैं वह पहले खरीदें।
दिवाली में बाजारों में तमाम प्रलोभन ललचाने के मौजूद हैं मगर
बजट और भविष्य गड़बड़ाए नहीं यह ध्यान भी रखना है इसमें हम सब समझदार होते हैं। आराम खरीदना है या जिल्लत यह
भी चाइस साथ है। त्यौहार पर दिमाग की लौ माने बत्ती का प्रकाश सामने रखकर दिवाली की दिवानगी का भरपूर आनंद उठाएं। दीपोत्सव का आनंद आपके दिमाग को नई ऊर्जा से भर देगा। दिवाली की शुभकामनाओं को हृदय से स्वीकार करें।

– मदन वर्मा ” माणिक ”
इंदौर , मध्यप्रदेश

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