
शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धन-संपदा।
शत्रु बुद्धि विनाशाय दीपकाय नमोस्तुते।।
दिया बाती का चहल-पहल मचा है चहुंओर,
अयोध्या आएं राम लला नगरवासी हुए भावविभोर।
आज सजी है नगरी दुल्हन जैसी अमावस्या की रात,
मन का अंधेरा मिटे लगे पूर्णिमा का उजियार।
अनेकता में एकता झलके दीपक एक ऐसा हो,
दियाबाती पर्व मन का विकार मिटा दे ऐसा हो।
माटी का दीप कुम्हार से खरीद प्रज्वलित करें,
मां लक्ष्मी घर-घर आयेंगी ऐसा मन में विश्वास रखें।
स्वच्छता का सन्देश भरा पर्व असत्य का हुआ हार,
राम लला रावण को मार किए देश का उद्धार।
मन का अंधकार व द्वेष मिटे ज्ञान क दीप प्रज्ज्वलित करें,
समरसता भावपूर्ण व्यवहार से उत्कृष्ट कार्य करें।
गणेश लक्ष्मी कुबेर जी की पूजा अर्चना कर आशीष पाएं,
दियाबाती में सपरिवार खुशी से प्रेम का दीप जलाएं।
लड्डू,मिठाई, लावा, बताशा लक्ष्मी गणेश जी को चढ़ाएं,
अन्न धन से भरेंगी भंडार उनके आगे शीश झुकाएं।।
ममता झा मेधा
डाल्टेनगंज




