साहित्य

दीपावली विशेष २१९वीं कल्पकथा काव्यगोष्ठी में शब्दों के दीप जगमगाए

सत्य को सत्य के रूप में स्वीकार किया जाना अनिवार्य है - कल्पकथा परिवार

प्रभु श्री राधा गोपीनाथ जी महाराज की कृपा से संचालित राष्ट्र प्रथम, हिन्दी भाषा, सनातन संस्कृति, एवं सद साहित्य, हेतु कृत संकल्पित कल्पकथा साहित्य संस्था परिवार द्वारा आयोजित २१९वीं दीपावली पर्व विशेष साप्ताहिक ऑनलाइन काव्यगोष्ठी में सृजनकारों ने शब्दों को दीप और भावनाओं को ज्योति बनाकर संध्या को शोभायमान किया।

चोगलमसर लेह लद्दाख से संवाद प्रभारी श्रीमती ज्योति राघव सिंह जी बताया कि काव्य संध्या में पंच दिवसीय दीपोत्सव महापर्व को समर्पित काव्य रचनाओं के आयोजन में देश के विभिन्न प्रांतों से साहित्यकार जुड़े।

पवनेश मिश्र के मंच संचालन के कार्यक्रम का शुभारंभ नागपुर महाराष्ट्र से जुड़े वरिष्ठ साहित्यकार विजय रघुनाथराव डांगे जी द्वारा संगीतमय गुरु वंदना, गणेश वंदना, एवं सरस्वती वंदना के साथ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वाराणसी के विद्वान पण्डित अवधेश प्रसाद मिश्र मधुप ने की, एवं मुख्य आतिथ्य का पद भार प्रतापगढ़ से जुड़ीं किरण अग्रवाल ने सम्हाला।

कार्यक्रम में विशेष रूप से सहभागिता देते हुए वरिष्ठ पत्रकार एवं संस्कार न्यूज भारत समाचार पत्र के प्रधान संपादक विजय कुमार शर्मा जी ने आशु काव्य सृजन शैली से परिवेश को आनंद और उत्साह से भर दिया।

सांस्कृतिक मूल्यों पर गंभीर चिंतन के साथ मर्यादित हास्य बोध से सजी काव्य रचनाओं की अनूठी शाम की आनंद सरिता में उत्साह की स्वरलहरियां निरंतर अठखेलियां करतीं रहीं जिनमें गोते लगाते हुए स्वर साधक साहित्यकारों ने अपने अनुभव कोश में अनुपम शब्द व्यंजनाओं को संरक्षित किया।

कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति विद्यापीठ विकासनगर देहरादून उत्तराखण्ड से हेमचंद्र सकलानी ने कितना सुंदर है दीपों का त्यौहार हमारा काव्य के रूप में आई।

उत्तरकाशी उत्तराखण्ड से डॉ० अंजू सेमवाल ने दीपावली दीपों का त्यौहार काव्य सृजन द्वारा सभी को मनहर शुभकामनाएं प्रेषित कीं।

रायगढ़ छत्तीसगढ़ से अमित पण्डा अमिट रोशनाई ने चलो फिर दीपक जलाएं दिल से दिल को रोशनी दें दर्द में भी मुस्कुराएं सुनाते हुए करुणा और दया के भावों को जागृत किया।

जखौली सोनीपत हरियाणा से दीदी राधा श्री शर्मा ने एक दीप जलाऊं ऐसा जग तिमिर नाश जो कर दे, तमस मिटा अज्ञान की मन ज्ञान प्रकाश जो भर दे काव्य के माध्यम से मन के अंधकार को दूर करने की अनुशंसा की।

पवनेश मिश्र ने दीप रूप में ईश्वर की वन्दना करते हुए दीपों में हरि मुस्काएगा शीर्षक की रचना का काव्य पाठ करते हुए कहा पता नहीं किस छवि में आकर हरि तुमको मिल जाएगा, दीप में, मन में, भावों में फिर प्रभु आकर मुस्काएगा।

इटावा उप्र के सैन्य साहित्यकार भगवान दास शर्मा प्रशांत ने आल्हा छंद शैली में रचित गीत सत्यम शिवम सुंदरम मूलम दीप प्रकाश करें उपकार, के माध्यम से दीप पर्व की महिमा को नमन किया।

इनके अलावा दिनेश दुबे, सुजीत कुमार पाण्डेय, संपत्ति चौरे स्वाति, डॉ श्याम बिहारी मिश्र, विजय रघुनाथराव डांगे, ज्योति प्यासी, सुनील कुमार खुराना, पण्डित विजय कुमार शर्मा, किरण अग्रवाल, पण्डित अवधेश प्रसाद मिश्र मधुप, आदि ने शब्दों के दीपों द्वारा संध्या को सफल बनाया।

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा चर्चा का विषय और कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि को हनुमान जी महाराज के जन्मोत्सव का प्रसंग जिसमें डॉ श्याम बिहारी मिश्र, ज्योति प्यासी, किरण अग्रवाल, सुनील कुमार खुराना, दिनेश दुबे, आदि ने अपने विचार रखे।

अध्यक्षीय उद्बोधन में पण्डित अवधेश प्रसाद मिश्र मधुप ने सभी रचनाओं और रचनाकारों की प्रशंसा करते हुए कहा काव्य सृजन में सांस्कृतिक मूल्यों और गरिमामय अभिव्यक्ति के साथ सत्य को सत्य के रूप में स्वीकार किया जाना अनिवार्य है। वहीं मुख्य अतिथि किरण अग्रवाल ने आयोजन को सफल बताते हुए ऐसे सामाजिक चेतना और सनातन संस्कारों के आयोजन अधिक से अधिक आयोजित किए जाने की अनुशंसा की।

कार्यक्रम के अंत में दीदी राधा श्री शर्मा ने दीपोत्सव पर्व पर सभी को मंगलकामनाएं देते प्रतिभागियों का आभार प्रकट किया। तत्पश्चात सर्वे भवन्तु सुखिन: शांति पाठ के साथ कार्यक्रम को विश्राम दिया गया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!