
गीत
दीप दिवाली के सजते हैं घर-द्वार,
मिठाइयाँ बँटती हैं, आते रिश्तेदार।
हर चेहरा मुस्काए, मन में हो प्यार,
सजें थाल आरती के, गूँजे जयकार।
खुशियों की फुहारों में भीगे संसार,
दीपों की लड़ी में सजे त्योहार।
रंग रंगोली सजी, सुहानी हँसे बारंबार,
बजे झंकारे बाजे, नाचे सारा परिवार।
हर दिल में उमंग सजे, हो मधुर व्यवहार,
दीपों की ज्योति से मिटे अंधकार।
आँगन में खिले आशा के पुष्प अपार,
स्नेह बरसे जैसे शुभ प्रभात की धार।
दीप दिवाली के सजते हैं घर-द्वार,
मिठाइयाँ बँटती हैं, आते रिश्तेदार।
लक्ष्मी माँ के चरणों सजे दीपों का दरबार,
मन के तमस हर लेती, उनकी करुण झंकार।
सपनों में झलके मंगल, शुभ विचार अपार,
भक्ति की धारा में बहे हर परिवार।
दीप दिवाली के सजते हैं घर-द्वार,
मिठाइयाँ बँटती हैं, आते रिश्तेदार।
सजधज से दमके हर एक द्वार,
अर्चना में डूबा प्रेमसिक्त संसार।
दीपक की लौ में छिपा स्नेह अपार,
संदेश दे रही, मिटाओ अंधकार।
दीप दिवाली के सजते हैं घर-द्वार,
मिठाइयाँ बँटती हैं, आते रिश्तेदार।
दया, करुणा, प्रेम हो जीवन का सार,
मिल-जुल कर मनाएँ पावन त्योहार।
हर दिल में जगमग हो विश्वास अपार,
दीपों की आभा में झलके संस्कार।
दीप दिवाली के सजते हैं घर-द्वार,
मिठाइयाँ बँटती हैं, आते रिश्तेदार।
डाॅ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार



