
मिट्टी का
दीया है जीवन
ज्योति-सम
विकिरण करें
महल रेत का
नश्वर जीवन
इसका नहीं
भरोसा
कभी खुशी तो
कभी गमों को
इसने सदा
परोसा
सुख-दुख में
समभाव सदा
अब सादगी
विचरण करें
मिट्टी का
दीया है जीवन
ज्योति-सम
विकिरण करें
सत्कर्मों की
बाती हो नित
तेल प्रेम का
डालें
जगमग जीवन
हो वसुधा पर
सबको देखें
भालें
सदा सत्य का
संबल हो अब
नेह-निधि
विसरण करें
मिट्टी का
दीया है जीवन
ज्योति-सम
विकिरण करें
समय सदा ही
सबल रहा है
सदाचार
नित पालें
सद्गुण सारे
सुगठित कर के
सुन्दर
जीवन ढ़ालें
वैमनस्य है
घुली हवा में
मधुर मधु
प्रसरण करें।
मिट्टी का
दीया है जीवन
ज्योति-सम
विकिरण करें
डॉ॰ अर्जुन गुप्ता ‘गुंजन’
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश




