साहित्य

आखिर क्यों मुझसे इतना रूठा हुआ है, रब

आकाश शर्मा आज़ाद

ऐ, रब मुझको बता तो ज़रा,,
तेरी मेरे दिल से दुश्मनी क्या है !
मेरे दिल से तेरी शान में,,
गुस्ताखी क्या हुई है आखिर,,
मेरे दिल ने तेरा बिगड़ा क्या है
आखिर क्यों तू मुझ से मेरे नसीब से
इतना रूठा हुआ है !!
मुझे नादान न समझ ऐ रब तू,
मुझे पता है, मैं जानती हूं,,
तू, हीं मेरी मोहब्बत का है, दुश्मन
वो,तू हीं है, जिसने मेरी मोहब्बत के,,
दिल और धड़कन से,,
मेरी यादें मेरा नाम मिटा रखा है !!
फ़िज़ा बनकर अब मैं,,
अपनी मोहब्बत के सामने से,
गुजर भी जाऊं तो,,
मेरी आशिकी मुझे पहचानती ही नहीं है,,
मोहब्बत में अपनी मोहब्बत को,,
हार चुकी हूं मैं,,
अब मेरी सांसे, काली अंधेरी रातों में रहती है,,
कोई मोहब्बत का गुलाब नहीं उगता
मेरे दिल की जमीन पर अब
मेरे दिल की जमीन अब उजाड़ जंगल में,
तब्दील हो चुकी है,,
ऐ,रब मुझे मालूम है, तू बेहद प्रसन्न होगा आज
मेरी मोहब्बत की कहानी तबाह बर्बाद करके,
मेरे नसीब से, ऐ, रब प्यार मोहब्बत इश्क और, इबादत
की लकीरें तो, मिटा चुका है तू,
मेरी मोहब्बत को
तो, मुझसे चुरा चुका है तू मैंने सुना था,
तेरी यह दुनिया जन्नत जैसी है,
ऐ रब मैं तुझसे खैरात मांगती हूं,
मेरा एक आखरी काम कर दे,
ऐ, रब अपना खंजर निकाल आज तू,
अपने खंजर से, अपनी दी हुई जिंदगी
और मेरी जान ले ले
मेरा इश्क मुझे पहचानता ही नहीं है जब
मैं क्या करुंगी तेरी जन्नत सी दुनिया में रह के,
ये, सल्तनत तेरी है,, ये, दुनिया तेरी है,
ऐ रब इस बार, इस जन्म तू, अपनी
फतह का जश्न मनाले अभी कुछ और बरस
एक वक्त मेरा भी आएगा,
एक नया रूप, एक नया रंग साथ लाएगा
मेरी मोहब्बत को मेरा इश्क याद दिलाएगा
मैं फिर आऊंगी अपने खंजर से सवाल लेकर
तेरे दरवाजे पर,ऐ रब तू, मेरे इश्क मुजरिम है
तूने एक घोर अपराध किया है
मोहब्बत के खिलाफ जाकर
मेरी अधूरी मोहब्बत ये मेरा अधूरा जन्म
तुझ पर उधार रहा,, अगर तू रब है,
यह दुनिया कहती है, मैंने सुना है
तो तुझे अपने अपराध का पश्चाताप करना होगा
तुझे अपना उधार चुकाना होगा इस बार
एक नए जन्म मे
मेरी मोहब्बत के दिल और धड़कन पर,
मेरा नाम लिखकर, ऐ रब
रब है तू इस दुनिया को, तुझे ये बताना होगा
मुझे मेरी मोहब्बत से मिलाकर,
तूने मेरे इश्क की परीक्षा बहुत ली है
अब तुझसे तेरे रब होने का प्रमाण मांगती हूं मै,
तुझे तेरे नाम की सौगंध है,
तुझे मेरे इश्क को अपना नाम देना होगा
तुझसे अपनी मोहब्बत के लिए,
अमृत तत्व का वरदान मांगती हूं मैं,,
ऐ रब तुझसे इंसाफ मांगती हूं मैं
ऐ, रब नहीं तो बदनाम कर दूंगी मैं तुझे
तेरी ही दुनिया में,
तुझे इश्क का कातिल बता कर

आकाश शर्मा आज़ाद
आगरा उप्र

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