अद्भुत सार्थक उपलब्धि लिए झाबुआ के डॉ रामशंकर चंचल अमेज़न पर

मध्यप्रदेश के आदिवासी पिछड़े अंचल झाबुआ के साहित्य साधक डॉ रामशंकर चंचल ने रचा इतिहास
अपनी अद्भुत रचनाओं कृतियों से हिंदी भाषा को उसका हक सम्मान दिया है और विश्व पटल पर झाबुआ जिले के आदिवासी पिछड़े अंचल को साहित्य जैसे गहन गंभीर विषय पर अद्भुत पहचान बनाई है
डॉ चंचल के शब्दों में, मैं नहीं जानता हूं घर की चार दीवारों में कैद मेरा जीवन कभी इतना इतिहास रच सकता है यह और बात है कि पूरी ज़िन्दगी रात रात भर जाग कर साहित्य सेवा की, फल मिला मुझे
अनुभूति प्रकाशन इलाहबाद जन चेतना प्रकाशन इलाहबाद, आशु प्रकाशन से और बिना कोई राशि लिए मेरे कृतियों का प्रकाशन हुआ और सारे देश के हिंदी प्रांत में ग्रामीण वाचनालयों में दस्तक देती हुई छाई सरकार द्वारा खूब खरीदा गई
प्रकाशक भी खुश रहे और लगातार प्रकाशित हुई 17 से 20कृतियां सब ने अथाह कमाया तो कुछ इस फकीर को भी मिला जिस से आर्थिक हालत कुछ अच्छे हुए
खैर आज देश को सैकड़ों कृतियों से नवाजा मेरी ईश्वर की अद्भुत कृपा साथ ही है आज जब दुनिया से विरक्त हो घर की चार दीवारों में कैद बस सृजन और परिवार के किरदार निभाने तक जीवन रहा तो, पता नहीं सब कुछ ईश्वर कृपा से सोशल मीडिया के माध्यम से देश के विश्व के लाखों चाहने वालों का प्यार दुलार और आशीर्वाद मिला कि सब जुड़ेते गए अपने आप यह सब कुछ ईश्वर कृपा थी जो आज तक महसूस कर रहा हूं, यह सत्य स्वीकार करना होगा कि आप कुछ नहीं है सब कुछ ईश्वर चाहता है वही होता हैं और कर्म कभी भी व्यर्थ नहीं जाता है
प्रणाम करता हूं देव भूमि झाबुआ को मुझे प्यार दुलार और आशीष देने वाले सभी ईश्वर तुल्य इंसानों का
जो कुछ हूं सब कुछ सभी का साथ प्यार आशीष है




