
कार्तिक मास सुहावन आया,
छठी मइया का त्यौंहार।
नहाय-खाय करे सब नारी,
गूँजे मंगल सुघर द्वार॥
मन निर्मल, गंगाजल पावन,
हर दिशा भए उजियार।
आरंभ आस्था का पर्व महान,
भक्ति में डूब गया है संसार।
नदी तटों पर दीप सजाए,
जल में खिले कमल समान।
धूप धुएँ संग गूँजे स्वर,
“जय छठी मइया भगवान।”
भक्ति की ज्योति अमिट जगाए,
मिट जाए हर संताप महान।
छठ पूजा आस्था का सागर,
भर दे जीवन में अरमान॥
नहाय-खाय से प्रारंभ होता,
पावन व्रत का यह सिलसिला ।
शुद्ध अन्न, चनेकी दाल,
लौकी-भात का पुण्य मिला।
मन-तन निर्मल, घर पावन,
हर दिशा भक्तिमय खिला।
छठ मइया की जयकारों से,
गूँजे भारत का कण-कण मिला।
न तन थके, न मन विचलित,
हर्ष भरे सकल परिवार।
शुद्धता और संयम का पर्व,
छठ माता की कृपा अपार।
सूर्य-देव के प्रति अनन्य,
श्रद्धा भाव अमर अपार।
चार दिनों तक चलने वाला,
आस्था और भक्ति का पर्व।
डाॅ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार




