आलेख

जो लिखा वह चर्चित हुआ, क्योंकि मैं नहीं लिखता, मुझे से वो लिखवाता हैं

डॉ रामशंकर चंचल

मैने जीवन में सदा ही वो लिखा जो उस ईश्वर ने मुझ से,लिखवाया है,
कल्पना करने में कभी विश्वास नहीं किया, जीवन में कभी ही कुछ लेखन ऐसा किया है जो किसी अपने की इच्छा होने से या मांग करने से लिखा है और उसे मैने खुद ने लिखा अवश्य हैं पर स्वीकार नहीं किया
जब तक आत्मा से निकल कर कुछ नहीं आया नहीं लिखा है , बहुत ही बेचैन रहता हूं और फिर वह सृजन जन्म लेता है यह भी नहीं पता वह कब किस वक्त, सामने आयेगा अचानक सैकड़ों बार गहरी नींद के बावजूद, मन नहीं मानता है और उठ लिखने बैठ जाता हूं तब जाकर बेचनी से राहत मिलती हैं और सुख सुकून महसूस करता हूं
कभी ऐसा नहीं हुआ कि मैने लिखा और वह प्रकाशन नहीं हुआ , क्यों ऐसा होता है नहीं जानता हूं पर सत्य है कि जो कुछ लिखा सब कुछ प्रकाशित हो जाता है और मुझे नए सृजन के लिए प्रेरणा देता हुआ सक्रिय रखता हैं, राम जाने यह सब कुछ, बस सदा ही ऐसा लगा जैसे कोई अदृश्य शक्ति मुझे सदा प्रेरित करती हैं और मैं लिखने बैठ जाता हूं
कौन छापेगा , कब छपेगा इस बात की परवाह नहीं करता हूं बस छपता है और सृजन सक्रिय बना रहता है
जैसे इसी कर्म के लिए जन्म हुआ ऐसा लगता हैं
यही वजह है कि जो कुछ लिखा सब कुछ बेहद चर्चित हो जन मानस के दिल और दिमाग में दस्तक देता है , जानता हूं अच्छे से यह मैने नहीं लिखा है ईश्वर कृपा है और यह उसी का संदेश है क्योंकि कि जब मैं खुद पढ़ने बैठता हूं अपना लिखा हुआ तो चौक जाता हूं यह कब लिखा था इतना अच्छा कैसे लिख डाला और खुद के लिखे को सादर प्रणाम करता हूं
मेरे जीवन का अद्भुत सत्य है यह जो आज अनायास निकल आया है क्यों
यह भी नहीं जानता हूं बस मन हुआ लिख रहा हूं, शायद यह की सृजन किया नहीं जाता स्वतं मन और आत्मा से निकल सामने आता है वहीं स्थाई रूप से जन मानस के दिल और आत्मा में विराजमान होता हैं

डॉ रामशंकर चंचल
झाबुआ मध्य प्रदेश

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!