साहित्य

आजोबा बाग हैं अनमोल

संजय प्रधान

जिन घरों में होते हैं आजोबा बाग
वहां होता है समृद्धि का निवास,
संस्कार पुष्पित पल्लवित होते रहते,
आशीर्वाद भी करते हैं प्रवास।

आजोबा बाग के पास होता है एक बक्सा,
कहानी किस्सों से भरा रहता,
जब भी सुनने को मन करता,
कान लगा कर मैं मन से सुनता।

आजोबा बाग हैं वृक्ष समान,
पत्ती फल सा देते मीठा फल,
सांसों से जब मिलती हैं सांसे,
जब सुनहरे से हो जाते हैं पल।

उन्होंने सदा दिया हमें बहुत कुछ,
हमेशा हमसे चाहा हमारा साथ,
बच्चे ही तो होते हैं उनकी आस,
बच्चों सुख दुख में रहना उनके पास।
संजय प्रधान
देहरादून।

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