
जय बिहार जय हो बिहारी ,
दुनिया गाए सुयश तुम्हारी ।
हर कोई पूजे उगता सूरज ,
डूबते सूरज महिमा प्यारी ।।
माॅं छठी तुम्हें पूज्य बनायी ,
माॅं गंगा ने महिमा बरसाई ।
भास्कर देव विश्व में फैलाए ,
बिहारी माॅं से संस्कार पाई ।।
धन्य व्रती हर माता व बहनें ,
चार दिवसीय व्रत समायीं ।
उपवास का एहसास नहीं ,
टनक स्वर व्रत गीत गायीं ।।
कठिन व्रत विश्व को भाया ,
देख रहे वे ऑंखें हैं गड़ाए ।
छलक रहे उन्हें हर्ष ऑंसू ,
बिहारी व्रत अति मन भाए ।।
कितना कठिन बिहारी पर्व ,
वैसे ही ये उपासना साधना ।
चार दिनों तक माताऍं बहने ,
करती रहती हैं आराधना ।।
धन्य बिहारी माताऍं व बहनें ,
धन्य राज्य बना है बिहार ।
बिहारी होते हैं बड़े परिश्रमी ,
बिहार बिहार है या बी हाड़ ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )
बिहार ।




