आलेख

प्राचीन सम्भल तीर्थ परिक्रमा को पुनर्जीवित करने वाले साहसिक कार्य से जुड़ा नया अध्याय,आज लाखों श्रद्धालु करते हैं फेरी

अतुल कुमार शर्मा

सम्भल फेरी के नाम से विख्यात संभल तीर्थ परिक्रमा, सम्भल-दंगों के बाद दहशत के माहौल में कब गुम हो गई,पता ही नहीं चला। जानकारों ने संवाददाता को बताया कि इसे प्रारंभ करने का विचार हिन्दू जागृति मंच के संस्थापक अजय कुमार शर्मा के मन में आया और समाज के मूर्धन्य जनों का सहयोग लेकर, परिक्रमा की अलख जगाई।
लगभग 30 वर्षों तक स्थगित रहने के बाद, सन् 2006 में 26 अक्टूबर को हिन्दू जागृति मंच के बैनर तले संगठित एवं सुव्यवस्थित रूप से सम्भल तीर्थ परिक्रमा, पुनः जाग्रत होकर प्रारंभ हुई। बमुश्किल 11 लोगों द्वारा शुरू की गई इस परिक्रमा में अगली बार 18 लोग शामिल हो गए। फिर अजय कुमार शर्मा द्वारा, जनता में जागरूकता फैलाने के कारण संख्या बढ़ती चली गई और आज यह गिनती लाखों तक पहुंच गई।


संभल तीर्थ परिक्रमा को पुनर्जीवित करने वाले प्रारंभिक सदस्यों में अजय कुमार शर्मा, सुबोध कुमार गुप्ता, चंद्रशेखर शर्मा, चौधरी महिपाल सिंह, सरदार विचित्र सिंह चाहल,मनोज कुमार शर्मा, ऋषिकांत शर्मा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तहसील प्रचारक राजेश कुमार , मित्रपाल सिंह, लोटन सिंह, रामभजन सिंह, गणेश सिंह, हरि सिंह, रामपाल यादव, कुंवरपाल सिंह, कल्याण सिंह, लड्डू गोपाल, वीरपाल सिंह शामिल रहे।
उधर परिक्रमा को प्रारंभ करते समय तिलक लगाकर विदा करने वाले और उद्घाटन करने वाले विशिष्ट अतिथियों में वंशगोपाल तीर्थ के महंत भगवत प्रिय जी महाराज, आचार्य प्रमोद कृष्णम, डी० के० शर्मा, जयप्रकाश गुप्ता, राजेश सिंघल, भारत सिंह यादव, चौधरी खिलेन्द्र सिंह, सुदयंत त्यागी, डॉ० रामनाथ पाठक, संजय राधू, कमल चौधरी, अरविन्द सिंह एडवोकेट, सत्येंद्र सिंह, पवन सक्सेना सहित अन्य समाजसेवी शामिल रहे थे।
उस समय शायद ही किसी ने सोचा होगा कि इस मार्ग में एक-सा छोटा प्रयास, एक बड़ा कदम भी बन सकता है। आज प्रशासन ने भी संभल के तीर्थों पर अपना ध्यान केंद्रित करते हुए उनके उद्धार का बीड़ा उठाया है, जिससे अगले कुछ दिनों में तीर्थ नगरी संभल की तस्वीर कुछ और ही होगी।

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