
नारी एक अवतार
सुरम्यता में सबसे आगे
जग में वस है नारी,
नारी साधारण नाम नहीं
वह एक है अवतारी।
कोमलता में बढ़कर है यह
ममता में भी भारी,
क्षमाशील प्रधान सौम्य सी
है अनेक गुण धारी।
प्रेम विश्व का है भरा हुआ
हर वनिता के अन्दर,
संबन्धी परिवार जनों को
त्रिया है एक समंदर।
क्षेत्र अछूता नहीं रहा अब
प्रमदा जहाँ न आगे,
देख सुयोग की गति चाल को
रहती हरदम जागे।
अबला नहीं वो सबला है
सारे जग ने जाना,
जननी तो भव की जननी है
ऐसा सबने माना।
आ पड़े जरुरत यदि कहीं तो
बनती काली नारी,
हो अवतारित शक्ति रूप में
सब पर पड़ती भारी।
मुकेश कुमार दीक्षित ‘शिवांश’ चंदोसी, संभल, उ०प्र०
मो०-8433013409




