डॉ रामशंकर चंचल ने किया ,अपनी अद्भुत ताजा कृति अन्यया की डायरी का विमोचन

मध्य प्रदेश के आदिवासी पिछड़े अंचल झाबुआ के साहित्य गजत में बेहद चर्चित विश्व स्तर पर दस्तक देते हुए अपनी दसवीं अमेज़न कृति अनन्या की डायरी , इंकलाब पब्लिकेशन बम्बई द्वारा प्रकाशित हुई को आज मध्य प्रदेश स्थापना दिवस पर मां सरस्वती को भेंट कर सुखद अहसास अनुभव किया
सदा की तरह सादगी लिए यह विमोचित हुई सम्पूर्ण विश्व स्तर पर दस्तक देती हुई कृति , नारी विवशता की अद्भुत सत्य कथा है जो सचमुच वंदनीय होने के साथ बेहद विचारणीय हैं और अनेक प्रश्न खड़े करती हुई सोचने को विवश करती है
एकदम सहज सरल और जीवंत सजीव लेखन मैं सामने आई एक ऐसी महत्वपूर्ण उपलब्धि है जो साड़ी याद की जाएगी और नारी की जिन्दगी का अद्भुत विचारणीय सवाल लिए सम्पूर्ण विश्व को सोच चिंतन के लिए विवश करती है
झाबुआ जैसी पिछड़े अंचल से विश्व पटल पर दस्तक देती अमेज़न पर उपलब्ध कृतियों में समाहित यह साहित्य की अनमोल कलजयी कृति है, जहां साहित्य की बात करना बेमानी लगती हैं आज वहीं झाबुआ जिले से यह साहित्य की गहन गंभीर विषय पर दस्तक देती कृति अनन्या की डायरी उपन्यास है जो सचमुच खूब पढ़ा जायेगा और स्मरण रहेगा
कृति, विमोचन के पूर्व ही विश्व स्तर पर दस्तक देती हजारों चाहने वाले लोगों द्वारा बधाई प्राप्त कर चुकी हैं
सैकड़ों कृतियों को देश को भेंट कर चुके डॉ रामशंकर चंचल कहते हैं कि
मुझे नहीं पता था मेरी साहित्य साधना तपस्या को यहां तक पहुंच कर झाबुआ को गौरव सम्मान देने के साथ सारे देश और विश्व में चर्चित हो
अथाह प्रेम प्यार और आशीष मिलेगा और यह सब कुछ ईश्वर कृपा है कि आज सम्पूर्ण विश्व में चर्चित साहित्य गजत में चर्चा बना हुआ मेरा
ग्रामीण आदिवासी पिछड़े अंचल झाबुआ है जो गर्व से याद किया जा रहा है यह झाबुआ की अद्भुत पावन पवित्र भूमि का ही आशीष है
मैं अपने लाखों पाठकों को सादर सत् सत् प्रणाम करता हूं कि उनके आशीष और प्यार ने मुझे जिन्दा रखें
साहित्य सृजन में लगाएं रखा और में अपनी हिन्दी भाषा को उसका हक सम्मान देने में कुछ कामयद हुआ
धन्य धरा भारत, धन्य धरा झाबुआ मध्य प्रदेश जहां जन्म हुआ मेरा और जीवन सार्थक कर सुख सुकून महसूस कर पाया


