बैंजू ढोल अरु बाजे खूब झाल ,
नेता नगरी में भरल बाटे माल ।
एक एक सब कुछ नजर में आई ,
जब ठीक से देखीं नजर डाल ।।
नेता नेता सब एके नेता ,
सबके बाटे एकही हाल ।
चुनाव में झूठे दलील देके ,
आपन बजावे खूबे गाल ।।
झूठ साॅंच बोल बतावे चाल ,
मन में घोटाला लिहले पाल ।
अंदर करिया बाहर गोर खाल ,
दोसरा के जईसे छिलीहें छाल ।।
नेता भीरी होखेला बड़ जाल ,
नेता बनावेला दोसरे के ढाल ।
चुनाव वक्त ठोके कसके ताल ,
दोसरा के छिनेवाला उ थाल ।।
चाहत कोई के गलो ना दाल ,
जीत के जश्न में बजावे नाल ।
नेता अभिनेता के होखे चाहत ,
गरीबी मेटी गरीब होईहें नेहाल ।।
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )
बिहार ।




