साहित्य

कार्तिक पूर्णिमा (मनहरण घनाक्षरी)

डाॅ सुमन मेहरोत्रा

कार्तिक पूर्णिमा (मनहरण घनाक्षरी)

शुभ कार्तिक पूर्णिमा , बाॅंटें अमृत चंद्रमा ,
शीतल पवन बहे,सितारे भी चमके।
खड़ी बालिका निराली ,देख रही हरियाली ,
खुले केश उड़ रहे,लहर सी दमके।
तन पर नील छटा,गगन सी घिरी घटा,
गगन की देखे लाली ,सुवास सी महके।
मुख पे धवल प्रभा ,प्रतिबिंब जैसे आभा,
रूप झरती बहार, उपवन गमके।

शुभ कार्तिक पूर्णिमा , बाॅंटें अमृत चंद्रमा ,
नानक जनम दिन , गुरु पर्व आज है।
त्रिपुरासुर का बध,हुआ ध्वस्त अशुभ,
धरा हुई पुलकित, आलोक साज है।
तुलसी विवाह संग,रचे मंगल सुगंध,
हरि- शक्ति का मिलन, फैला प्रेम राज है।
विष्णु पूजन पावन ,मन भक्ति है सावन,
सत्य, शांति औ समृद्धि ,सुखद समाज है।

डाॅ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार

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