संस्कार नहीं छोड़ा है ।। 🌹🙏
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गांव छोड़ा है संस्कार नहीं छोड़ा है ।
मां पिता भाई बहन प्यार नहीं छोड़ा है ।।
शहर में आया कमाने मेरी मजबूरी थी ।
जोड़ कर रखता हूं घर-द्वार नहीं छोड़ा है ।।
कवि सिद्धनाथ शर्मा * सिद्ध*
संस्कार नहीं छोड़ा है ।। 🌹🙏
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गांव छोड़ा है संस्कार नहीं छोड़ा है ।
मां पिता भाई बहन प्यार नहीं छोड़ा है ।।
शहर में आया कमाने मेरी मजबूरी थी ।
जोड़ कर रखता हूं घर-द्वार नहीं छोड़ा है ।।
कवि सिद्धनाथ शर्मा * सिद्ध*