साहित्य

कुश त्रिवेदी, तीन वर्षीय पोता अद्भुत कला धनी

डॉ रामशंकर चंचल

ये कुश त्रिवेदी, झाबुआ मध्य की गोपाल कालोनी में स्थित पिता मनीष जी त्रिवेदी के बेटे और हमारे पोते, वैसे तीन पोते हैं हमारे पर ये हमारे खास मित्र हैं, मेरे बिना इन्हें उसके बिना मुझे अच्छा नहीं लगता
सीधा है बहुत ही सीधी मेरी तरह पर
सुंदर हैं प्रसन्न हैं

खैर साहब, पेले बाजार में मिलता है अलग अलग रंग में जिद्द करता है और अद्भुत कला बनाने में व्यस्त हो जाता है, भगवान भक्त है शिव, गणेश और जय श्री राम नारे के शौकीन है
आज बाजार में मेरे कालोनी की दुकानों में पीले दो तीन दिन से नहीं मिला
मां रूपी से रीति बनाने की गिला आटा मांगा और जनाब शुरू हो गए अपनी क्ला में व्यस्त और मस्त अद्भुत चित्र सुंदर छवि मोहक प्रभावित करते बना डाले आटे से
सत् है परम सत्य है कला कोई भी हो जन्म जात होती हैं और इसका में अद्भुत समर्थक हूं यह ईश्वरीय उपहार है जो नसीब वाले को मिलता है इनकी बड़ी बहन समीक्षा त्रिवेदी चर्चित है चित्रकार भी डांसर भी
प्रणाम इनकी कला का इस मासूम ईश्वर रूप कुश जी को

डॉ रामशंकर चंचल

झाबुआ मध्य प्रदेश

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