साहित्य

भजन

मुकेश कुमार दीक्षित 'शिवांश'

रघुवर को जब से देखा, मन दीवाना हो गया,
लगता नहीं कहीं, अब ये बेगाना हो गया।

सीता को देखकर प्रभु न फूले समा रहे,
मन-मन ही चाहने लगे पर कह न पा रहे,
सीता ने भी तो राम को अपना बना लिया ।

बनना था उनको राजा, पर तपस्वी बन गए,
रहना था अवध में, पर वे वन को चले गए,
जंगल में जाके असुरों का संहार कर दिया।

ये इनकी ही कृपा है जो आज मैं यहाँ,
मुझको भी न पता है, मैं जा रहा कहाँ,
दीक्षित की लेखनी से यह सब कुछ रचा दिया।

मुकेश कुमार दीक्षित ‘शिवांश’, चंदौसी, संभल, उ०प्र० मो०- 8433013409

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!