
फिर से दीप जलेंगे, फिर से होगा रोशनी का सफर,
फिर से खिलेंगे फूल, और महकेंगे बाग़।
फिर से चहचहाएंगे पक्षी, और गाएंगे गीत,
फिर से जीवन होगा खुशियों से भरपूर।
फिर से दीप जलेंगे, और अंधकार होगा दूर,
फिर से होगा प्रकाश, और जीवन होगा नूर।
फिर से हम सब मिलेंगे, और मुस्कराएंगे,
फिर से जीवन होगा प्यार और खुशियों से भरपूर।
फिर से दीप जलेंगे, और जीवन होगा रोशन,
फिर से हम सब आगे बढ़ेंगे, और नया करेंगे निर्माण।
फिर से जीवन होगा खुशियों से भरा,
फिर से हम सब मुस्कराएंगे, और होगा जीवन सवेरा।
फिर से दीप जलेंगे, और अंधकार होगा दूर,
फिर से होगा प्रकाश, और जीवन होगा नूर।
फिर से हम सब मिलेंगे, और मुस्कराएंगे,
फिर से जीवन होगा प्यार और खुशियों से भरपूर।
बीना पाटनी पिथौरागढ़ उत्तराखंड


