साहित्य

लड़ चुनाव जीत गइली

भुलक्कड़ बनारसी 

(1)
लड़ चुनाव जीत गइली परधानी।
अब कुछ बोलबा उतार देब पानी।
तोहरे प्रयास से वोट नाही पइली।
अपने लटका झटका से जीत गइली।
हमरे काम में अड़ंगा जिन लगावा।
जे दुवरे आवे ओके पानी पिलावा।
नाही त तोहके हो जाई परेशानी।
लड़ चुनाव जीत गइली परधानी।
(2)
तू घर सम्हाला हम गाँव घूमब।
गाँव क अर्जी समस्या सुनब।
हमरे इशारे पर अब तू नचबा।
जवन कहब हां में हां कहबा।
लोग परधान जी कह बोलइयन।
शुभ काम में नारीयल फोड़वइन।
अब न चले देब तोहार मनमानी।
लड़ चुनाव जीत गइली परधानी।
(3)
मिटिंग जब होई साथे लेजाइब।
फाइल आपन तोहीं से ढ़ोआइबा।
हम मिटिंग करब तू बहरे टहलबा।
परधान पति बता के तू अइठबा।
ऐसे तोहार रूतबा बढ़ जाई।
माई क अचरा तोहे भूल जाई।
तोहार बंद हो जाई सब फुटानी।
लड़ चुनाव जीत गइली परधानी।
(4)
बस नाम बदे परधान कहइबा।
कोई पावर न रही आंसू बहइबा।
घर बाहर सब जगह हमरे नाम चली।
तोहरे सीनवा पर तब साप डोली।
शादी से अब तक जवन सतइला।
ओही क फल प्रभु से तू पइला।
मत दुख करा मत जतावा हैरानी।
लड़ चुनाव जीत गइली परधानी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!