
जिसके संग खेली थी वो, गुड़िया पुरानी हो गई।
बिटिया सयानी हो गई।
बीते, जमाने की वो बाते, सब कहानी हो गई।
बिटिया सयानी हो गई।
बाहों का था पालना और गूंजती किलकारियां,
तेरे आने से हुई उत्सव की सी तैयारियां,
देख कर तेरी बुआ तेरी दीवानी हो गई।।
बाबा की तू लाडली ,
अम्मा की लाडो हो गई।
चाचा तो चिड़िया कहे,
ताऊ की पीहूं हो गई
मां के जीवन की तो तू अब जिंदगानी हो गई ।।
माथे पे टीका नजर का, पैरों में बाजे पैजनिया।
हाथ में मेरे फसाकर छोटी छोटी उंगलियां।
तुम मेरे पापा मैं तेरी, बिटिया रानी हो गई।।
वो तेरा छुपाना छुपाना, देख आवाज़ें लगाना।
छुप गई हूं मैं कहां पर ढूंढ कर पापा बताना।
प्रीत अब तेरी ये मेरी दोस्तानी हो गई।।
राखी दोयज और दशहरा,
बेटी के बीन सब हे सुना।
गूंज उठता खिल खिलाटों, से मेरा घर अंगना।
तुझ से तो रुह मेरी ये रुहानी हो गई ।।
थाम कर हाथों को तेरे बेदी तक लेकर के जाना
लाडो मेरी, रीत ऐसी पढ़ता है जिसको निभाना
आज से तू दो कुलों की महारानी हो गई।।
सीमा शर्मा “मंजरी ”
मेरठ उत्तर प्रदेश
ग्राम अर्णावली




