अगर सृष्टि का केन्द्र काशी ये होता
नहीं मृत्यु होती नहीं जन्म होता
यहाँ एक रहता परमनिर्विकारी
न मरता न उसका कभी जन्म होता
कभी पास आने न दें मोह माया
सत्कर्म से सिद्ध ये जन्म होता
क्षितिजपर पहुँचकरक्षितिजदीखताहै
सच जानने में क ई जन्म होता
नहीं हार माने कभी मुश्किलों से
करें सामना पार्थ सा जन्म होता
परम श्रेष्ठ है कर्म संसय न इस में
यही मोक्षदा , मृत्यु ना जन्म होता
रज
करें कर्म हम कामना सर्व हित की
सम्पूर्ण तब ही मनुज जन्म होता
तृष्णा पिपासा करें दूर श्रम से
सत्संग से ही विमल जन्म होता।
🙏विजय चन्द्र त्रिपाठी 🙏




