साहित्य

बाल दिवस

नरेश कुमार गुप्ता "खैरी"

बाल दिवस त्यौहार है आया,
खुशियाँ कई हज़ार हैं लाया,
चेहरे हँसे-खिले-चमके हैं,
कपड़े नए-नए दमके हैं ।

धरती नई, नया है अंबर,
आशाओं से भरा समंदर,
देश के होंगे कल संरक्षक,
मगर आज हैं मस्त कलंदर ।

काम तो हम शानदार करेंगे,
आज न दो, कल चार करेंगे,
हर मुद्दे पर संवाद करेंगे,
नाम भारत का आबाद करेंगे ।

माँ बापू का प्यार है गहना,
इनके संस्कारों का ताज है पहना,
हरदम इनके संग है रहना,
दूरी इनसे अब नहीं सहना ।

अल्हड़पन में खो लेने दो,
सपने सच्चे बो लेने दो,
मोती खरे पिरो लेने दो,
तकनीकें नई संजो लेने दो ।

जिस दिन हम परवान चढ़ेंगे,
नित दिन नई उड़ान भरेंगे,
दुनिया पर हम राज करेंगे,
देश का हम स्वाभिमान बनेंगे ।

नरेश कुमार गुप्ता “खैरी”
अनुवाद अधिकारी, भारतीय तटरक्षक,
(पूर्व शिक्षा अनुदेशक, भारतीय वायुसेना)

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