
नन्हे कदमों की रुनझुन में
देश का उजियारा बसता है।
बच्चों की मासूम हँसी से
हर मन का आँगन हँसता है।
सपनों की उड़ान लिए ये
भविष्य का आकार बनाते हैं।
मेहनत, साहस और उम्मीदों से
नए कल की राह सजाते हैं।
नेहरू जी के स्नेहिल स्मरण से
आज का दिन अनुपम हो जाता है।
बचपन की कोमल धूप में
जीवन का सत्य झलक जाता है।
आओ, हम सब संकल्प करें—
हर बच्चे को अवसर देंगे।
शिक्षा, सम्मान और सुरक्षा से
उनका हर दिन उजला करेंगे।
डॉ सुरेश जांगडा
राजकीय महाविद्यालय सांपला, रोहतक (हरियाणा)




